शिक्षा

66 दिन में 20 दिन भी अनुपस्थित ‘छुट्टी वाली शिक्षिका’ पर भड़के ग्रामीण, स्कूल को लगाया ताला

स्कूलों में शिक्षक और सुविधाओं की कमी: ग्रामीणों की बढ़ती नाराजगी

हाल ही में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में माता-पिता और स्थानीय ग्रामीणों ने एक प्राथमिक विद्यालय के बाहर ताला लगा दिया। कारण यह है कि स्कूल में पिछले 66 दिनों में एक शिक्षिका केवल 20 दिन ही उपस्थित हुई। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र के बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित महसूस करने लगे और माता-पिता ने इस समस्या का समाधान नहीं होने पर गुस्सा जताया।

शिक्षक की अनुपस्थिति और ग्रामीणों का विरोध

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि शिक्षिका की लगातार अनुपस्थिति ने बच्चों की शिक्षा पर गंभीर असर डाला है। स्कूल के बच्चों की पढ़ाई में बाधा उत्पन्न हो रही है, और इसके कारण बच्चे मानसिक दबाव में हैं। जब बच्चा स्कूल नहीं जा पाता, तो उसका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। यही कारण है कि अभिभावकों ने इस गंभीर समस्या का सामना करने का निर्णय लिया।

स्वच्छता की कमी: समस्या को बढ़ाना

इसी प्रकार, एक अन्य घटना में, स्वामी आत्मानंद स्कूल में गंदगी और अंधेरा फैला हुआ है। वहां टीचर की कमी के साथ-साथ सुविधाओं की भी गंभीर कमी है। स्कूल के शौचालय भी सफाई के अभाव में बदहाल हो गए हैं। इस स्थिति ने शिक्षण के आदर्श मापदंडों को धराशायी कर दिया है। बच्चे शिक्षा की उम्मीद रखते हैं, लेकिन उन्हें केवल गंदगी और अंधकार का सामना करना पड़ रहा है।

बच्चों की संख्या और शिक्षकों की कमी

एक और स्कूल में 109 बच्चों के लिए केवल 2 शिक्षक उपलब्ध हैं। यह बात स्थानीय छात्रों के लिए कठिनाई बढ़ा रही है। गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त करने के लिए शिक्षकों की संख्या का पर्याप्त होना अनिवार्य है। बच्चे अपना समय कक्षा में नहीं बिता पा रहे हैं, जिसके कारण उनका मानसिक विकास भी ठहर गया है।

छात्राओं की बेहोशी और प्रदर्शन

बेमेतरा में आत्मानंद स्कूल में विद्यार्थियों की समस्याओं को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान धूप में खड़े होते-होते एक छात्रा बेहोश हो गई। यह घटना शिक्षा के बुनियादी मुद्दों पर प्रकाश डालती है। बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ का भी ध्यान रखना आवश्यक है, लेकिन शिक्षा की स्थिति में सुधार न होने के चलते उन्हें निराशा का सामना करना पड़ रहा है।

परिवारों की चिंता

इन समस्याओं से न केवल बच्चे प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि उनके परिवारों को भी चिंता सताने लगी है। अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चों को समय पर शिक्षा मिले, लेकिन शिक्षक और स्कूल की अनुपस्थितियों ने उनकी उम्मीदों को चुराया है। ग्रामीणों का मानना है कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो बच्चों का भविष्य अंधकार में रहेगा।

शिक्षा व्यवस्था की खामियां

शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए सरकार को पहल करनी होगी। केवल नई योजनाएं बनाने से काम नहीं चलेगा। प्रतियोगी और सहायक शिक्षकों की भर्ती, स्कूल में सुविधाओं का सुधार, और नियमित कार्यशालाएं बच्चों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। यह आवश्यक है कि शिक्षा का स्तर ऊँचा करने के लिए सभी पक्ष एक साथ आएं।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति और सुविधाओं की कमी ने बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है। यह समय है कि शिक्षक, अभिभावक और शासकीय एजेंसियों को मिलकर इस बुरी स्थिति का समाधान करें। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास सही दिशा में हो सके। यदि ऐसे ही हालात बने रहे, तो आने वाली पीढ़ी को उनके हक से वंचित किया जाएगा, जो हमारे समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय होगा।

admin

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