राजनीति

पिंडदान विवाद: पीएम मोदी की गयाजी यात्रा के बाद लालू का सियासी तूफान बढ़ा।

पिंडदान पर घमासान: पीएम मोदी के गयाजी जाने के बाद लालू ने खड़ा किया सियासी तूफान

हाल ही में पीएम मोदी के गयाजी दौरे के बाद बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है। लालू प्रसाद यादव ने इस मौके पर पिंडदान पर चर्चा करते हुए एक बार फिर से राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। पिंडदान हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए अर्पित की जाने वाली एक प्रक्रिया है। लालू का कहना है कि पीएम मोदी की इस धार्मिक यात्रा का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है।

बिहार में इस समय जहां एक ओर विकास कार्यों को लेकर चर्चा हो रही है, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार का मुद्दा भी गरमाया हुआ है। लालू प्रसाद यादव ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे का गंभीरता से लेना चाहिए, नहीं तो चुनाव में इसका भारी विरोध झेलना पड़ सकता है। इस तरह का आरोप लगाकर उन्होंने अपने अनुयायियों को एक बार फिर से गोलबंद करने की कोशिश की है। ऐसा प्रतीत होता है कि आगामी चुनावों में ये मुद्दे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

पीएम और सीएम की कुर्सी छीनने वाला बिल: बिहार में ‘भ्रष्टाचार’ चुनावी मुद्दा

बिहार में भ्रष्टाचार का मुद्दा इस बार चुनावों में अहम मुद्दा बनता जा रहा है। विपक्ष द्वारा लगातार इस मुद्दे को उठाया जा रहा है और आरोप लगाए जा रहे हैं कि सरकार ने इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि यह बिल, जो पीएम और सीएम की कुर्सी छीन सकता है, अगर पारित नहीं होता है, तो यह जनता के सामने एक बड़ी असफलता के रूप में देखा जाएगा।

भ्रष्टाचार पर आवाज उठाना अब सभी दलों के लिए अनिवार्य हो गया है। नेताओं का कहना है कि अगर इस बार सत्ता में आने पर उनकी सरकार बनी, तो वो इस मुद्दे को पूरी तरह से सुलझाने का काम करेंगे। इस मुद्दे पर चर्चा ने बिहार की राजनीतिक फिजा को और भी गर्म कर दिया है। परिणामस्वरूप, सभी राजनीतिक दलों में इस मुद्दे पर अलग-अलग राय बन रही है, जो आने वाले चुनावों की रणनीति को प्रभावित कर सकती है।

छठ पूजा: पीएम मोदी सिमरिया में छठ और देशप्रेम की छटा देख झूम उठे

छठ पूजा के पावन अवसर पर पीएम मोदी ने सिमरिया में पहुंचकर इस अनूठे पर्व की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर उन्होंने हाथों में तिरंगा लेकर सामा चकेवा गीत पर डांस किया। यह दृश्य न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी बहुत प्रेरणादायक था। पीएम मोदी ने इस अवसर पर देशप्रेम की भावना का जिक्र करते हुए सभी से मिलकर काम करने की अपील की।

छठ पर्व केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। पीएम मोदी ने इस पर्व को लेकर कहा कि यह देश की एकता और अखंडता को दर्शाता है। इस दौरान उन्होंने स्थानीय लोगों से भी बातचीत की और उनके अनुभवों को सुना। इस प्रकार का राजनीतिक और धार्मिक मेलजोल जनता में नेताओं के प्रति विश्वास निर्माण करेंगा।

बोधगया में 13000 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास

पीएम मोदी ने बोधगया में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान 13000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास किया। उन्होंने न केवल इन परियोजनाओं को पाकिस्तान के सन्दर्भ में बताया, बल्कि सीएम नीतीश कुमार के कामों की सराहना भी की। पीएम ने कहा कि बोधगया जैसे धार्मिक स्थलों का विकास न केवल धार्मिक बल्कि आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।

इस कार्यक्रम में उन्होंने बोधगया की संस्कृति और धरोहर की भी चर्चा की। पीएम का यह प्रयास यह दिखाता है कि केंद्र सरकार विकास कार्यों के प्रति कितनी गंभीर है। इससे न केवल स्थानीय निवासियों को लाभ होगा बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, जो कि राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

गंगा नदी पर औंटा – सिमरिया पुल

गंगा नदी पर बना औंटा-सिमरिया पुल अब पूरी तरह से तैयार हो चुका है। इसकी लागत लगभग 1870 करोड़ रुपये थी, और यह उत्तर बिहार के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह पुल उत्तर बिहार को अन्य क्षेत्रों से जोड़ेगा और आवागमन को सरल बनाएगा। इससे क्षेत्र के लोगों को काफी लाभ होगा, जो लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक होगा।

यह पुल न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि व्यापार और व्यवसाय के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसके जरिए भारी मात्रा में सामान का परिवहन आसान हो जाएगा। इससे स्थानीय उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा। जिस प्रकार से पुल के निर्माण की गति बढ़ी है, उससे स्पष्ट होता है कि सरकार विकास कार्यों के प्रति कितनी गंभीर है।

निष्कर्ष

बिहार की राजनीति में आए दिन नए मुद्दे उभरते रहते हैं, और वर्तमान में पिंडदान, भ्रष्टाचार, धार्मिक पर्व और विकास परियोजनाएं सभी महत्वपूर्ण बन गई हैं। हर मुद्दे के साथ राजनीतिक दलों के बीच की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ती जा रही है। आगे बढ़ते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि ये मुद्दे आगामी चुनावों में किस प्रकार से प्रभाव डालते हैं और जनता की राय किस ओर जाती है।

बिहार की जनता अब समझदार बन चुकी है और वो अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है। चुनावों के नजदीक आते ही राजनीतिक दलों को हर मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना होगा। बिहार की मूलभूत समस्याओं को सुलझाने में सभी दलों की एकजुटता आवश्यक है, ताकि विकास संभव हो सके और जनता को लाभ मिल सके। उम्मीद की जानी चाहिए कि सभी नेता अपनी महत्वाकांक्षाओं के बजाय लोगों के लिए काम करेंगे और एक सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करेंगे।

admin

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