राजनीति

इमरान खान का आरोप: असीम मुनीर सत्ता के प्रति लालायित हैं।

इमरान खान और आसिम मुनीर के बीच खींचतान

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने वर्तमान पाकिस्तानी सशस्त्र बल के प्रमुख आसिम मुनीर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इमरान खान ने मुनीर को ‘सत्ता का भूखा’ करार दिया है और उन्हें तानाशाही के उपद्रव का जिम्मेदार ठहराया है। इन आरोपों ने पाकिस्तान के राजनीतिक विमर्श को एक नई दिशा में मोड़ दिया है और यह सवाल उठता है कि पाकिस्तान में सैन्य और राजनीतिक शक्तियों का संतुलन कैसे बिगड़ रहा है।

इमरान खान, जो इस समय जेल में हैं, ने अपनी बीवी पर भी कथित दबाव डालने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि आसिम मुनीर ने उनकी पत्नी पर मानसिक दबाव डाला और यह स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। यह घटनाक्रम उस समय हो रहा है जब इमरान खान की सरकार को पिछले वर्ष गिरा दिया गया था और तब से राजनीतिक झगड़े बढ़ते गए हैं।

उत्पीड़न का आरोप

इमरान खान ने यह भी आरोप लगाया है कि आसिम मुनीर ने पाकिस्तान में उत्पीड़न की सारी हदें पार कर दी हैं। उनका कहना है कि यह केवल उनकी व्यक्तिगत कैद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा राजनीतिक खेल चल रहा है। इमरान ने यह स्पष्ट किया कि उनकी सजा न केवल न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है, बल्कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का भी हिस्सा है।

राजनीति और सेना का संबंध

पाकिस्तान में सेना और राजनीति के बीच का सम्बन्ध हमेशा से जटिल रहा है। इमरान खान ने आरोप लगाया है कि वर्तमान सैन्य नेतृत्व ने राजनीतिक कार्यों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है। उनके मुताबिक, यह पहले की तरह ही सत्ता की छाया में चलने वाली राजनीति से दूर है। शांतिपूर्ण लोकतंत्र के लिए यह सोच और कार्यशैली बेहद हानिकारक है।

क्या है आगे का रास्ता?

इमरान खान ने अपने समर्थकों से अपील की है कि वे इस अत्याचार के खिलाफ खड़े हों। उनका मानना है कि पाकिस्तान को उसके सही लोकतांत्रिक सिद्धांतों की ओर लौटने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करना होगा, ताकि उनके द्वारा किए गए उपद्रवों का जवाब दिया जा सके।

निष्कर्ष

पाकिस्तान की राजनीति में यह खींचतान केवल इमरान खान और आसिम मुनीर के बीच की नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे संघर्ष का प्रतीक है जिसमें लोकतंत्र, न्याय और सत्ता की समयसीमा तय करने वाले सवाल हैं। इस संघर्ष के चलते पाकिस्तान को एक बार फिर अपनी राजनीतिक पहचान को खोजने का अवसर मिल सकता है, बशर्ते कि नागरिक समाज और राजनीति एकजुट होकर इस स्थिति का सामना करें।

admin

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