**साइबर साक्षरता: क्रेडिट कार्ड ‘नकद निकासी’ घोटाला उजागर – यूट्यूबर दिलीप कुमार साहू ने कैसे किया पर्दाफाश…**

अलिक़बाज़ हाल ही में मुंबई में “क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर नकद निकासी” के नाम पर एक धोखाधड़ी का मामला उजागर हुआ है। यूट्यूबर और भोजपुरी अभिनेता दिलीप कुमार साहू पर लोगों को ३.५ लाख रुपये के करीब ठगे जाने का आरोप है। इस साइबर धोखाधड़ी की शुरुआत सड़क किनारे लगे एक पोस्टर से हुई थी, जिस पर लिखा था: “सिर्फ 2.5% कमीशन पर अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके नकद पाएं।”
एक सामान्य व्यक्ति ने उस पोस्टर पर दिया गया नंबर सेव कर लिया और कुछ दिनों बाद आवश्यकता पड़ने पर उससे संपर्क किया। प्रारम्भ में आरोपी ने पीड़ित का विश्वास जीतने के लिए उसके क्रेडिट कार्ड की जानकारी और ओटीपी मांग लिया। ₹20,000 के लेन-देन के बाद उसने ₹500 काटकर ₹19,500 वापस कर दिए। इससे पीड़ित को लगा कि नंबर वास्तविक और भरोसेमंद है।
इसके बाद पीड़ित ने और दो क्रेडिट कार्ड के विवरण व ओटीपी साझा किए, जिसके परिणामस्वरूप कुल लगभग ₹3.5 लाख नकद प्राप्त हुए। तथापि, इस बार कई लेन-देन के जरिए उसके खाते से कुल ₹3,50,020 डेबिट हो गए और एक भी रुपया वापस नहीं मिला। इस प्रकार धोखेबाजों ने धोखाधड़ी की।
तो, आज हमारे साइबर साक्षरता स्तम्भ में हम क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी पर चर्चा करेंगे। साथ ही आप यह भी जानेंगे:
-
स्कैमर क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी कैसे करते हैं?
-
इससे बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
प्रश्न: ‘क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी’ क्या है?
उत्तर: क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी एक प्रकार की साइबर धोखाधड़ी है जिसमें अपराधी आपका कार्ड नंबर, CVV, एक्सपायरी डेट, ओटीपी या पिन जैसी संवेदनशील जानकारी छल के द्वारा प्राप्त कर लेते हैं। वे इन जानकारियों का उपयोग कर आपके खाते से पैसे निकालते हैं या ऑनलाइन खरीदारी करते हैं। कई बार पीड़ित को तब पता चलता है जब उसके खाते से पैसे कट जाते हैं या क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट पर संदिग्ध लेन-देन दिखते हैं।
प्रश्न: क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी कैसे की जाती है?
उत्तर: यह सामान्यतः सामाजिक इंजीनियरिंग और धोखाधड़ी के माध्यम से होती है—जहाँ धोखेबाज फ़र्ज़ी कॉलों, ईमेलों या संदेशों के जरिए आपका कार्ड विवरण, ओटीपी या पिन मांगते हैं। कभी-कभी वे खुद को बैंक प्रतिनिधि या किसी भरोसेमंद कंपनी के रूप में पेश करते हैं और फ़र्ज़ी ऑफर या नकद भुगतान का लालच देकर आपकी जानकारी निकाल लेते हैं। एक बार उनके पास ये विवरण आ जाएँ तो वे कार्ड का उपयोग कर लेन-देन करते हैं और पैसे निकाल लेते हैं। (नीचे दिए चित्र में इसे समझाया गया है।)
प्रश्न: क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी से बचने के उपाय क्या हैं?
उत्तर: सावधानी और सही जानकारी बेहद आवश्यक है। क्रेडिट कार्ड का सुरक्षित उपयोग करके आप धोखाधड़ी से बच सकते हैं। उदाहरण के लिए:
-
अपने कार्ड की जानकारी किसी से भी साझा न करें।
-
अपना पिन, पासवर्ड या ओटीपी कभी भी किसी के साथ न बाँटें—न मित्र, न परिजन, न फोन पर संपर्क करने वाला कोई भी।
-
पुरस्कार या लॉटरी धोखों का शिकार न बनें—यदि किसी ने कहा कि आप लॉटरी जीत गए हैं और पहले शुल्क/ कर आदि देने होंगे, तो वह धोखाधड़ी है; ऐसे लोगों को कभी पैसे न दें।
-
भुगतान करने से पहले सावधानी बरतें—किसी भी त्वरित भुगतान या ऑफ़र के पहले वेबसाइट व विक्रेता की प्रामाणिकता जाँच लें।
-
फ़िशिंग और मॉलवेयर से सतर्क रहें—ईमेल/मैसेज में आए लिंक पर बिना सत्यापित किए क्लिक न करें और अपनी जानकारी किसी फर्जी फॉर्म में न भरें। असली बैंक कभी कॉल/ईमेल पर व्यक्तिगत जानकारी और ओटीपी नहीं मांगते।
-
अपना कार्ड नजरअंदाज न होने दें—यदि आप कार्ड किसी रेस्टोरेंट या पेट्रोल पंप पर देते हैं, तो सुनिश्चित करें कि मशीन आपके सामने ही स्वाइप/इन्सर्ट हुई। यदि मशीन संदिग्ध लगे तो सतर्क रहें।
-
अलग-अलग उपयोग के लिए अलग कार्ड रखें—ऑनलाइन बिल/सब्सक्रिप्शन के लिए एक कार्ड और रोज़मर्रा के खर्च के लिए दूसरा कार्ड रखें, ताकि किसी एक के द्वारा नुकसान सीमित रहे।
-
मोबाइल वॉलेट का प्रयोग करें—Google Pay, PhonePe या Paytm जैसे मोबाइल वॉलेट अक्सर फिंगरप्रिंट/पासवर्ड से सुरक्षित होते हैं और इनमें कार्ड विवरण साझा नहीं होते।
-
लेन-देन सीमाएँ सेट करें—अपने कार्ड पर एटीएम, ऑनलाइन या दुकानदार लेन-देन की सीमा कम रखें; इससे अचानक होने वाले बड़े नुकसान से बचाव होगा।
(नीचे दिए चित्र में इन बातों को और स्पष्ट किया गया है।)
प्रश्न: कौन-सी जानकारी कभी भी किसी के साथ साझा नहीं करनी चाहिए?
उत्तर: कुछ वित्तीय विवरण ऐसे हैं जिन्हें कभी भी किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए—भले ही वह व्यक्ति बैंक अधिकारी होने का दावा कर रहा हो। इन जानकारियों के लीक होने पर आपका पूरा बैंक खाता खाली हो सकता है। इसलिए कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट, CVV, पिन, ओटीपी, इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड इत्यादि किसी के साथ साझा न करें।
प्रश्न: क्रेडिट कार्ड की जानकारी छिपाना क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ राहुल मिश्रा बताते हैं कि जिसे कार्ड की एक्सपायरी डेट, कार्ड नंबर और CVV पता है, वह अंतरराष्ट्रीय पेमेंट गेटवे के माध्यम से ऑनलाइन खरीदारी कर सकता है। इसलिए इन जानकारियों को गोपनीय रखना अत्यंत आवश्यक है। मॉल और पेट्रोल पंप जैसी जगहों पर CCTV कैमरों से भी कार्ड की जानकारी चोरी हो सकती है। इससे बचने के उपायों में CVV नंबर को स्थायी रूप से छिपा देना या मार्कर से ब्लैक-आउट करना भी शामिल है।
प्रश्न: क्या बैंक कार्ड ब्लॉकिंग या सत्यापन के लिए फोन करते हैं?
उत्तर: नहीं—बैंक सामान्यतः फोन करके आपके कार्ड को ब्लॉक करने की धमकी नहीं देते और न ही वे सत्यापन के नाम पर आपका कार्ड या ओटीपी मांगते हैं। जो ऐसा करते हैं वे 100% धोखेबाज हैं। यदि आपको ऐसा कॉल आए तो तुरंत कॉल कट करें और बैंक की आधिकारिक वेबसाइट से दिए गये नंबर पर स्वयं संपर्क कर पुष्टि करें।
प्रश्न: क्या अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट पर कार्ड का उपयोग सुरक्षित है?
उत्तर: यदि वेबसाइट विश्वसनीय और सुरक्षित (https:// के साथ) है तो हाँ, परंतु नकली साइटों पर लेन-देन करने से बचें। अंतरराष्ट्रीय लेन-देनों के लिए अपने कार्ड की सीमा सीमित रखें और बैंक अलर्ट सक्रिय रखें।
प्रश्न: क्या कार्ड उपयोग के बाद लेन-देन का हिसाब देखना आवश्यक है?
उत्तर: साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ राहुल मिश्रा का कहना है, “हाँ, हर क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता को महीने में कम से कम एक बार अपना स्टेटमेंट अवश्य देखना चाहिए। इससे किसी भी संदिग्ध लेन-देह को जल्दी पहचाना जा सकता है।”




